Wednesday 19 August 2015

love u mom

ek baar padhe jarur dosto.
माँ की पहचान
खुदा ने पूछा मुझसे
ऐसा तेरे पास क्या है ?
जिसपे तू इतना घमंड करता है ……
मैंने कहा वो …….वो ………..मेरी माँ है ,
ऐसे आश्चर्य से देखते हुए खुदा ने कहा ??
माँ ….?………?
तो बता कैसी है तेरी माँ ………? मैंने
कहा मेरी माँ तो बिल्कुल माँ के जैसी है …..!
इस जहा के दुख भरे अंगारे ,
जब इस शरीर को जालाने लगते है ……..
तब जो अपने ममतामयी से छाव करती है
….वो …ही ….है
….मेरी माँ…..!. हिम्मत के पुल जब टूटने लगते
है ,
और आसुओ के झरने बेवजह ही बहने लगते
है ……
तो सबसे पहले जो अपने हाथ हमारे सर पर
प्यार से फेरती है …..वो …..ही …..है …
मेरी माँ ……!
जब जब मिलती थी उसे
उसके हक़ की एक रोटी, उसमे भी वो चार
हिस्से कर दे देती थी हमे ………
जो खुद भूखे रहकर हमे
भरपेट सुलाती थी ….वो……ही….है….म
ेरी माँ …….! पल में रूठी पल में मान जाती है .,
कभी हँसते-हँसते रुलाती तो ,
कभी रोते -रोते हँसा जाती है ..
है गंगा जैसी पवित्रता जिसमे
ममता रही सदा सागर सी गहरी ,
अगर कभी बने मुजरिम उसकी आदालत में
तो सजा रही बा-इज्ज़त बरी
जो बिना कहे भी बहुत कुछ कह जाती है
…वो……ही….है…..मेरी माँ ……..! “ये खुदा तू
पहुँच नहीं सकता न सबके पास ……
तभी तो आज …माँ… है हमारे पास …